नई दिल्ली। जब से पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोट को बंद कर नये नोट लाने का फैसला लिया है तब से आम लोगों को खासा परेशानी झेलनी पड़ रही है। बैंको के बाहर लंबी कतारे लगी है इसके साथ ही एटीएम के बाहर भी लोगों के लंबी लाइन देखने को मिल जाएगी।
पीएम मोदी के फैसले से उन लोगों को सबसे ज्यादा परेशनी हो रही है जिनको पढ़ाना और लिखना नहीं आता, जिसकी वजह से वह पैसे ना तो निकला पा रहे ना ही बैंक में जमा कर पा रहे है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया इलाके में जहां एक वृद्धा अपनी मृत बहू के कफन के लिए बैंक में पैसे बदलवाने के लिए गई लेकिन उसके पैसे नहीं बदले।
घटना गुरुवार की दोपहर 12.35 बजे की है जहां 70 साल की एक वृद्धा एसबीआई की रेड क्रॉस शाखा में पहुंचीं। उन्होंने नोट बदलने के लिए काउंटर पर पहुंचकर गुहार लगाई कि सर, मेरा नोट बदल दीजिए। दरवाजे पर बहू की लाश पड़ी है। मेरे पास कफन खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं। लेकिन वहां पर उनसे फॉर्म भर कर पहचान पत्र के साथ कतार में लगने के लिए कहा गया। वृद्धा पढ़ी-लिखी नहीं थी जिसके कारण वह फॉर्म नहीं भर सकीं।
क्यों नहीं चेंज हो सका नोट
बैंक में काफी भीड़ होने के कारण वृद्धा ने कई लोगों से फॉर्म भर देने की गुहार लगाई। लेकिन, किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। जब किसी ने उनकी कोई बात ना सूनी तो वह थक-हार कर करीब 10 मिनट बाद बैंक के चीफ मैनेजर के चैंबर में दाखिल हो गईं। वृद्धा ने मैनेजर सीपी श्रीवास्तव के सामने एक-एक हजार के पांच नोट रखते हुए हाथ जोड़ अपनी गुहार लगाई। साथ ही रुपये जल्दी बदल देने को कहा।
पहचान पत्र नहीं होने से नहीं बदले नोट
फॉर्म सादा देख कर वृद्धा को उसे भरने के लिए कहा गया। मैनेजर के पास बैठे एक सज्जन ने कफन की बात सुन कर उनका फॉर्म भर दिया। महिला ने अपना नाम किष्किंधा देवी व घर सरैया बताया। साथ ही कहा कि वह सपरिवार शहर के ब्रह्मपुरा में ही रहती हैं। बहू बीमार थी। किडनी खराब होने के कारण उसकी मौत हो गई है।
फॉर्म सादा देख कर वृद्धा को उसे भरने के लिए कहा गया। मैनेजर के पास बैठे एक सज्जन ने कफन की बात सुन कर उनका फॉर्म भर दिया। महिला ने अपना नाम किष्किंधा देवी व घर सरैया बताया। साथ ही कहा कि वह सपरिवार शहर के ब्रह्मपुरा में ही रहती हैं। बहू बीमार थी। किडनी खराब होने के कारण उसकी मौत हो गई है।
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