Thursday 17 November 2016

पौने पाँच लाख करोड़ की भरपाई के लिए हुई है नोटबंदी!

पौने पाँच लाख करोड़ की भरपाई के लिए हुई है नोटबंदी!
नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर पूरे देश में अफरातफरी का माहौल है, मौतों का आकड़ा लगभग 50 तक पहुँच चुका है। यह वह आकड़ें हैं जो रिपोर्ट हो पाएं  हैं वास्तिक आकड़ों का कोई खुलासा नहीं। यूँ अचानक से नोट बंदी के फैसले के पीछे की वजह बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने अपनी वाल पर लिखा है कि 

क्या आपको अब भी नोटबंदी का मतलब समझ में नहीं आ रहा है? वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री(श्री संतोष कुमार गंगवार)
1- 31 मार्च, 2016 की स्थिति के अनुसार, सरकारी क्षेत्र के बैंकों(पीएसबी) के शीर्ष 100 उधारकर्ताओं की बकाया राशि 13,71,885 करोड रूपये थी।

2-सरकारी क्षेत्रों के बैंकों की सकल अनर्जक आस्तियां 2,16,739 करोड रुपये (वित्तीय वर्ष 2014 के लिए), 2,67,065 करोड रुपये (वित्तीय वर्ष 2015 के लिए) और 4,76,816 करोड़ रुपये (वित्तीय वर्ष 2016 के लिए) थी।
यह पढ़िए।
वित्त मंत्रालय का राज्यसभा में जवाब है। सवाल संख्या 2506. जवाब देने की तारीख 9 अगस्त, 2016. मोदी सरकार बनने के बाद सरकारी बैंकों की लूट किस तरह दोगुनी हो गई, यह सरकार ख़ुद बता रही है।
बाज़ार में कुल करेंसी लगभग 18 लाख करोड़ है। उसमें से लगभग पौने पाँच लाख करोड़ कंपनियों ने दबा लिए हैं, जिनके लौटने की उम्मीद भी नहीं है।
इसकी भरपाई के लिए हुई है नोटबंदी।

नोटबंदी में अब तक कोई घोटाला नहीं हुआ है। घोटाला जनवरी-फ़रवरी महीने में होगा जब RBI उतने नोट छापेगी, जितने कि बैंकों में वापस नहीं लौट पाए हैं। सरकार इस रक़म को अपनी आमदनी के तौर पर दिखाएगी। यह रक़म पाँच लाख करोड़ तक हो सकती है।
उन नए छापे गए नोटों की लूट भारतीय आर्थिक इतिहास की सबसे बड़ी लूट होगी। इसका बड़ा हिस्सा बड़ी कंपनियों के पास जाएगा। उनका क़र्ज़ माफ होगा। इस वजह से कंगाल हो चुके सरकारी बैंकों में नए सिरे से नक़दी डाली जाएगी।

मिडिल क्लास को ख़ुश रखने के लिए इनकम टैक्स की छूट की सीमा बढाई जाएगी और टैक्स दर में थोड़ी कटौती होना भी मुमकिन है। उस लूट की तलछट पर चंद नोट ग़रीबों के खाते में भी आ सकते हैं।

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