Thursday 31 August 2017

Friday 6 January 2017

Beautiful art of dance
Seven wonder of word

Sunday 20 November 2016

कोलकाता HC के जज भड़के, कहा- बेटे को डेंगू, अस्पताल नहीं ले रहे कैश, नोटबंदी पर रोज बदल रहा है फैसला

नोटबंदी को लेकर कलकत्ता (कोलकाता) हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. शुक्रवार को नोटबंदी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार रोज नए-नए फैसले ले रही है और अगले दिन उसे बदल दे रही है. फैसलों को ऐसे रोज बदलना ठीक नहीं है. बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी लाइनों से लोग परेशान हो रहे हैं.
नोटबंदी के 10वें दिन भी देश में हालात जस के तस हैं. सरकार हर दिन नया फैसला ले रही है. कोर्ट ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया. जज ने कहा कि अस्पतालों में कैश की वजह से जरूरी इलाज नहीं हो पा रहा है. अपने बेटे की बीमारी का जिक्र करते हुए जज ने कहा, 'मेरे बेटे को डेंगू है, लेकिन अस्पताल वाले कैश नहीं ले रहे हैं.'
'नोटबंदी से पहले सरकार ने नहीं किया होमवर्क'
केंद्र पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कोलकाता हाई कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के फैसले को लागू करते वक्त सरकार ने अपने दिमाग का सही इस्तेमाल नहीं किया. हर दिन वो नियम बदल रही है. इसका मतलब साफ है कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले कोई होमवर्क नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा कि हम सरकार का फैसला नहीं बदल रहे, लेकिन इस मामलें में बैंक कर्मचारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है. इस याचिका पर अगले शुक्रवार को कोर्ट में फैसला आएगा.
नोटबंदी पर याचिकाओं पर रोक नहीं
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटबंदी पर सभी याचिकाओं पर फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी पर केंद्र सरकार दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाएं दें.
सरकार रोज ले रही नए फैसले
बता दें, नोटबंदी के बाद पहले सरकार ने कहा था कि बैंक से रोजाना 4000 रुपये तक के पुराने नोट बदले जा सकेंगे, बाद में इसे बढ़ाकर 4500 कर दिया गया. वहीं, एटीएम से रोजाना 2000 कैश निकाले जा सकते थे, जिसकी लिमिट बाद में बढ़ाकर 2500 कर दी गई थी. अब गुरुवार को आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने नोटबंदी पर प्रेस ब्रिफिंग की. उन्होंने बताया कि अब किसान एक हफ्ते में 25000 रुपये निकाल सकते हैं. जबकि, शादी समारोह के लिए बैंक से 2.5 लाख रुपये तक निकाल सकते हैं. इसके लिए उन्हें बैंक में शादी का कार्ड दिखाना होगा.
अब पेट्रोल पंपों से भी निकलेंगे कैश
सरकार के एक ताजा फैसले के अनुसार अब आपको पेट्रोल पंप से तेल ही नहीं कैश भी मिलेगा. नए आदेश के मुताबिक, आप पेट्रोल पंप पर अपना डेबिट कार्ड स्वाइप करके 2000 रुपये प्राप्त निकाल सकते हैं. इसके लिए आपको सरकारी कंपनी के पेट्रोल पंप पर जाकर अपना डेबिट कार्ड स्वाइप करना होगा और 2,000 रुपये आपको मिल जाएंगे. शुरुआती दौर में यह सुविधा देश भर के 2,500 पेट्रोल पंपों पर दी गई है, जहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की स्वाइप मशीनें उपलब्ध हैं. अगले तीन दिनों में यह सुविधा देश के 20,000 पेट्रोल पंपों पर मिलने लगेगी, जिनके पास एचडीएफसी, सिटीबैंक और आईसीआईसीआई बैंक की कार्ड स्वाइप मशीनें उपलब्ध होंगी.
ये हैं नोटबंदी पर सरकार के ताजा फैसले
-नोट बदलवाने की घटी लिमिट, अब 2000 रुपए तक के पुराने नोट बदलवाए जा सकेंगे.
-30 दिसंबर तक एक शख्स सिर्फ एक बार ही नोट बदलवा सकेगा.
-शादी वाले घरों में लोग ढाई लाख तक कैश बैंक से निकाल सकेंगे. हालांकि, इसके लिए खाते का केवाईसी अपडेट होना जरूरी होगा.
-कृषि उपज से हुई कमाई में से किसान एक हफ्ते में 25,000 रुपए चेक से निकाल सकेंगे.
-कृषि मंडी के रजिस्टर्ड ट्रेडर्स एक हफ्ते में 50,000 रुपए निकाल सकते हैं.
-ग्रुप सी के सरकारी कर्मचारियों को भी राहत देने का फैसला हुआ है. वे 10,000 रुपए की एडवांस सैलरी कैश में निकाल सकते हैं.

दिल्‍ली : 87 साल के बुजुर्ग का आरोप- बैंक ने 2000 रुपये के नोट की फोटोकॉपी थमाई

नई दिल्‍ली: जहां हर कोई बैंक से पैसे निकालने के लिए परेशान है वहीं 87 साल के बुजुर्ग निरोदया शनिवार को 2000 का एक नया नोट वापस करने गये.

उनका आरोप है कि कुछ दिन पहले उन्होंने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में एक निजी बैंक से 10000 रुपये निकाले. बैंक ने 2000-2000 के इन नोटों में एक असली नोट की जगह उसकी फोटोकॉपी दे दी. चौंकाने वाली बात ये है कि जिस नोट को फोटोकॉपी बताया जा रहा है उसका नंबर उसी सीरीज का है जिसके बाकी नोट हैं.


बुज़ुर्ग की बेटी नंदिता ने शनिवार को इस बात की शिकायत बैंक में दर्ज करायी लेकिन बैंक ने ये मानने से इंकार कर दिया कि ये नोट उनका है. इस मामले में बैंक की तरफ से अब तक कोई सफाई नहीं आयी है.

गौरतलब है कि पिछले शनिवार को भी कर्नाटक में एक शख्स ने एक किसान को 2,000 के जाली नोट थामे दिए थे, जो कि जांच में असली नोट की फोटोकॉपी पाई गई थी. चिकमंगलूर में अशोक नाम का किसान बाजार में प्याज बेच रहा था. वहां एक शख्स उनसे प्याज खरीदने आया और बदले में 2000 रुपये का नोट थमा गया. उसने उन्हें बताया कि ये बैंक से जारी असली नए नोट हैं, लेकिन बाद में अशोक ने जब अपने दोस्तों को वह नोट दिखाया, तो पता चला कि यह असली नोट की फोटो कॉपी है और इसके किनारों को काटा गया है.

2000 रुपये का नोट कहीं ठगी का नया तरीका तो नहीं, Bank ku nahi jama kar rahi 2000 Rs. ka new note

2000 रुपये का नोट कहीं ठगी का नया तरीका तो नहीं

झूठों की सरकार है, बागों में बहार है
रणधीर सिंह सुमन
भारतीय रिज़र्व बैंक जनता को दो हज़ार रुपये का नोट दे रहा है, किन्तु आज बैंक ऑफ़ बड़ौदा की बाराबंकी शाखा में दो हज़ार रुपये का नोट खाते ज़मा करने से मना कर दिया गया.
बैंक अधिकारीयों ने यह भी कहा कि सौ रुपये का भी नोट नहीं ज़मा किया जायेगा.
यह नई गाइडलाइन्स अम्बानी के रिश्तेदार उर्जित पटेल अर्थात रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर साहब की है.
मोदी सरकार जितना लिखित कानून है उससे कहीं ज्यादा मौखिक कानून जारी कर रही है और मौखिक आदेश में कोई न कोई जालसाजी छिपी हुई है.
Randheer Singh Suman, रणधीर सिंह सुमन
मोदी सरकार जनता को रंग छूटने वाला दो हज़ार रुपये का नोट दे रही है और जब बैंक में पुन: नहीं ज़मा हो पा रहा है, तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए. कहीं यह ठगी का नया गुजराती तरीका निकाला गया है.

अभी तक जानकारी के अनुसार कोई रुपया अगर सरकार जारी करती है तो वह रुपया बैंक और सरकार स्वयं भी लेगी लेकिन झूठों की सरकार है, बागों में बहार है.

Friday 18 November 2016

देशभक्ति ताक पर रखकर चीन से मंगाए जाएंगे एटीएम के नट-पुर्जे

नई दिल्ली। देश में 500 और 1000 के नोट बंद हो चुके हैं। 10 दिन से भी ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी भी लोग बैंकों के बाहर लाइन लगाकर पैसे के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जहां एक तरफ 500 और 1000 के नोट एटीएम से निकल नहीं रहे वहीं नए चले 2000 के नोट भी एटीएम सपोर्ट नहीं कर रहे हैं।
ATM india
देश में जहां 2 लाख दो हजार एटीएम मशीनें हैं वहीं सिर्फ 22,500 एटीएम ही काम कर रहे हैं। सरकार ने बिना तैयारी के नोटबंदी कर दी जिससे आम जनता को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

आधिकारिक सूत्रों से खबर है कि जो भी एटीएम मशीन काम नहीं कर रहे हैं उनके पार्ट्स अब चीन से मंगाए जाएंगे। बता दें कि जारी किए गए नए नोटों को स्वीकार्य करने के लिेए एटीएम में लगने वाले मैगनेटिक कंपोनेंट और हार्डवेयर की कमी की वजह से नोट निकलने में दिक्कतें आ रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि एक बार अगर यह पार्ट एटीएम में लग जाए तो एटीएम एक हफ्ते में सुचारू रूप से चलने लगेंगे।
 
यहां सवाल यह उठता है कि दीवाली पर सरकार के कई नेताओं की तरफ से लोगों से चाईनीज समानों को ना खरीदने की अपील की गई थी। तो वहीं सरकार की तरफ से अब एटीएम को चालू करने के लिए सामान चीन से मंगाए जाएंगे।
 
हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य का कहना है कि सारे एटीएम में इन पार्टों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि एटीएम की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की जा रही है, आने वाले दिनों में इस तरह की कोई समस्या नहीं होगी। वहीं वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि यह एक बड़ी समस्या नहीं है और स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।

नोटबंदी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा- स्थिति गंभीर है, सड़कों पर दंगे हो जाएंगे.....

नई दिल्ली। नोटबंदी के मामले में बार-बार नियम बदल रही केंद्र सरकार को एक ही सप्ताह में दूसरी बार केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। इस मामले पर शुक्रवार को कोर्ट ने कहा, "सड़कों पर दंगे हो जाएंगे..." इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोई राहत नहीं देते हुए किसी भी निचली कोर्ट या हाईकोर्ट में नोटबंदी से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।

भारत के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को अचानक बंद किए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि समस्या काफी गंभीर है। अलग-अलग हाई कोर्टों में चल रहे मामलों की सुनवाई पर रोक से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन मामलों को ट्रांसफर करवाने के लिए ट्रांसफर पेटिशन दाखिल करनी होंगी। 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं, और इस सच्चाई से केंद्र सरकार इंकार नहीं कर सकती. चीफ जस्टिस ने कहा, स्थिति गंभीर हो रही है, और ऐसे हालात में गलियों में दंगे भी हो सकते हैं। चीफ जस्टिस के मुताबिक, यह मामला 'हाई मैग्नीट्यूड' का है, क्योंकि इससे लोग प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, सब लोग राहत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में नहीं आ सकते, और जो लोग राहत के लिए कोर्ट जा रहे हैं, वे साबित कर रहे हैं कि हालात गंभीर हैं।
एनडीटीवी के अनुसार, चीफ जस्टिस ने सरकार से सवाल किया, "आपने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद किया है, लेकिन 100 रुपये के नोट का क्या हुआ...?" जवाब में सरकार ने कहा कि मौजूदा समय में एटीएम मशीनों में सिर्फ 100 रुपये के नोटों के लिए एक ही ड्रॉअर लगा हुआ है, इसलिए नए नोटों के लिहाज़ से उन्हें री-कैलिब्रेट करना होगा।
लेकिन कोर्ट ने इसके बाद भी सवाल किए. चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा, "पिछली बार आपने कहा था कि आप जनता को राहत देने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन आपने तो रकम को घटाकर 2,000 रुपये कर दिया... समस्या क्या है...? क्या यह प्रिंटिंग (नोटों की छपाई) से जुड़ी दिक्कत है...?"
सरकार ने शुक्रवार से ही पुराने नोटों के बदले नए नोट देने के लिए 4,500 रुपये की सीमा को घटाकर 2,000 रुपये कर दिया है, और उसका कहना है कि इस कदम से ज़्यादा लोगों को नकदी मिल सकेगी।
सरकार की ओर से पेश हुए शीर्ष वकील ने कहा, "सिर्फ प्रिंटिंग नहीं... नोटों को देशभर में फैली (बैंकों की) लाखों शाखाओं तक पहुंचाना भी है, और एटीएम को भी री-कैलिब्रेट किया जाना है... वैसे, हमने किसानों, शादियों तथा छोटे व्यापारियों को राहत दी है..."

आम जनता पर एक और हमला, जेब में कैश लिमिट तय करेगी सरकार

नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर जहां एक तरफ आम आदमी की परेशानी खत्म होने का नाम नही ले रही है, वहीं अब सरकार एक और सख्त कदम उठाने के बारे में सोच रही है। नोट बैन के बाद अब आपकी जेब पर भी नजर रखी जा सकती है। सरकार अब नकदी निकालने, ट्रांजैक्शंस और कोई अपने पास कितना पैसा रख सकता है, इसकी एक लिमिट तय कर सकती है। यह लिमिट कंपनियों के साथ-साथ आम लोगों पर भी लागू होगी।

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीनियर टैक्स अधिकारियों और विशेषज्ञों से ऐसे कदम के बारे में राय देने को कहा गया था। अब इस नीति को लागू करने के बारे में सरकार सोच सकती है। इस रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अधिकारियों से पूछा गया था कि किस तरह कैश ट्रांजेक्शंस घटाने के बारे में एसआईटी के प्रस्ताव को लागू किया जा सकता है। मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बताया कि चूंकि इस मुद्दे पर सीनियर सरकारी अधिकारियों से राय मांगी जा रही है, लिहाजा इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों का कहना है कि ऐसा कदम उठाया जा सकता है।
इस चर्चा में सरकार ने अधिकारियों से जानने की कोशिश की थी कि इस नियम को लागू करने के बाद लोगों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। एसआईटी ने इस साल जुलाई में यह सलाह दी थी कि कंपनियों के साथ-साथ आम आदमी के लिए भी कैश ट्रांजैक्शंस की लिमिट 3 लाख रुपये और कैश होल्डिंग्स की लिमिट 15 लाख रुपये तय कर दी जाए।
इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों ने कहा कि सरकार अगले साल के बजट में ऐसा कदम उठाने पर विचार कर सकती है। सरकार सीबीडीटी या आरबीआई के सर्कुलर के जरिए भी इस बदलाव का ऐलान कर सकती है। सीबीडीटी और फाइनेंस सेक्रेटरी को बुधवार को भेजे गए सवाल का जवाब नहीं मिला। अशोक माहेश्वरी एंड एसोसिएट्स एलएलपी के पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, 'यह भी हो सकता है कि बजट में यह कदम उठाए जाएं। 

Thursday 17 November 2016

मध्यप्रदेश में भाजपा की करारी हार, तीनों सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा..!

Newbuzzindia: राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने जीत का अपना क्रम बरकरार रखा है। मध्यप्रदेश में हुये तीन नगर पालिका चुनाव के सोमवार को आये परिणाम भी कांग्रेस के पक्ष में गये हैं। तीनों ही जगहों पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। तीनों ही जगहों पर कांग्रेस के प्रत्याशी बड़े अन्तर से जीते हैं। भोपाल में हुये हिन्दू उत्सव समिति के चुनाव में भी बीजेपी समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है।
प्रदेश के मैहर और मंडीदीप नगर पालिका तथा ईसागढ़ नगर परिषद के लिये चुनाव हुये थे। अभी हाल में ही मैहर विधानसभा सीट जीतने वाली बीजेपी को वहां बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के धर्मेश घई ने भाजपा के धीरज पांडे को 4 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से हराया है। राजधानी भोपाल से लगी मंडीदीप नगर पालिका में भी बीजेपी की हार हुई है। मंडीदीप में कांग्रेस के बद्रीलाल चौहान ने बीजेपी के राजेन्द्र अग्रवाल को 5 हजार से भी ज्यादा वोटों से हराया। अशोक नगर जिले की ईशागढ़ नगर परिषद में भी कांग्रेस के भूपेन्द्र द्विवेदी ने बीजेपी के हरिवल्लभ को हरा कर कांग्रेस का झंडा बुलंद किया है।
इन तीनों ही नगर पालिकाओं में पहले बीजेपी की कब्जा था। मजे की बात यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के अलावा बीजेपी के कई बड़े नेता और मंत्री इन तीनों जगहों पर पार्टी का प्रचार करने गये थे। मैहर में तो मुख्यमंत्री चौहान ने कई बड़ी घोषणायें की थी। विधानसभा उपचुनाव के समय इस इलाके के लिए उन्होंने कई योजनाओं का ऐलान किया था, लेकिन जनता ने पालिका चुनाव में उनकी इन ऐलानों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
मुख्यमंत्री ने इस चुनाव परिणाम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है। पार्टी की तरफ से भी हार-जीत को चुनाव का एक सामान्य अंग बताकर मामले को टाल दिया गया है। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि हार की मुख्य वजह प्रत्याशियों का चुनाव रहा है। दरअसल पार्टी के नेताओं को यह लग रहा था कि वे ‘मिट्टी के माधौ’ को भी चुनाव जितवा सकते हैं। इस जीत से बीजेपी के लिये एक संदेश यह भी निकला है कि यदि उसने शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा उपचुनाव के समय प्रत्याशी चुनने में इसी तरह का रवैया अपनाया तो उसे मुश्किल हो सकती है।
उधर कांग्रेस ने इस चुनाव परिणाम को जनता की जीत बताया है। प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचैरी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत के लिये मतदाताओं का आभार जताया है। प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव ने कहा है कि सरकारी मशीनरी और पैसे का दुरूपयोग कर के बीजेपी चुनाव जीतती रही है। अब छोटी जगहों की जनता ने उसे हराकर स्पष्ट संदेश दे दिया है। नगर पालिकाओं की छोटी-छोटी जीत प्रदेश में कांग्रेस के लिये मील का पत्थर साबित होंगी।

यूपी के इऩ पांच जिलों में करीब 100 करोड़ का नुकसान ! एक्सपर्ट बोले- संभालो वरना ठप्प होगा पूरा हिंदुस्तान

8 नवंबर को मोदी सरकार के एक फैसले ने पूरे हिंदुस्तान के व्यापार की कमरतोड़ कर रख दी। कामगार मजदूर नोटों की दिक्कतों की वजह से गांव लौट गए है औऱ बाजार में कच्चे मालों की सप्लाई बिल्कुल बंद सी हो चली है। यह दिक्कत पूरे हिंदुस्तान में है।
पर उत्तर प्रदेश के इन पांच जिलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसमें अलीगढ़ का ताला व्यापार हो या कानपुर का चमड़ा व्यापार सब बंद की कगार पर खड़े हैं। हिंदी समाचार चैनल News18 INDIA ने इस नुकसान का आंकलन करते हुए बताया कि पूरे हिंदुस्तान की बात तो छोड़िए अभी इन पांच शहरों में ही नोटबंदी से हाहाकार मचा हुआ है। करीब-करीब 7 दिनों में 100 करोड़ से भी ज्यादा नुकसान हो चुका है। और जब बाजार एक्सपर्ट से बात की थी तो उनका कहना है कि अभी आगे भी बाजार को नुकसान होता रहेगा।
अलीगढ़
वेस्ट यूपी का शहर अलीगढ़ ताला कारोबार के लिए जाना जाता है। यहां प्रतिदिन करीब 3 करोड़ रूपए का कारोबार होता है। लेकिन यह पिछले 7 दिन से ठप्प है। इससे यहां अभी तक अनुमान 21 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
आगरा
दुनिया के 7 अजूबों में शामिल ताजनगरी जूता कारोबार के लिए भी जानी जाती है। यहाँ प्रतिदिन 15 करोड़ रूपए का कारोबार होता है। जो पिछले 7 दिनों में लगभग 105 करोड़ का नुकसान उठा चुका है। यहाँ करीब 3 लाख मजदूर काम करते है जिनके सामने काफी दिक्कतें आ रही हैँ।
कानपुर
अवध प्रदेश का एक हिस्सा कानपुर है जहां से चमड़े का व्यापार होता है। यहाँ 19 करोड़ रूपए का अनुमान बिजनेस रोजाना होता है पर करीब 7 दिन से ठप्प होने की वजह से 66 करोड़ का नुकसान उठा चुका है।
मुरादाबाद
यूपी के इस हिस्से को पीतलनगरी के नाम से जाना जाता है। यहां के लोग पीतल के कामकाज से जुड़े हुए है। यहाँ रोजाना करीब 19 करोड़ का कारोबार होता है। बीते 7 दिन में लगभग 133 करोड़ का नुकसान हो चुका है। यहाँ 3 लाख कामगार भी बेरोजगार है।
फिरोजाबाद
यूपी के इस शहर को सुहागनगरी के नाम से पहचाना जाता है। क्योंकि यहाँ से पूरे में चूडियां बनकर जाती है। यहाँ करीब 5 लाख मजदूर काम किया करते है जो आज बिल्कुल बेरोजगार हो चुके हैं। यहां रोजाना 4 करोड़ रूपए का व्यापार होता है जो आज 50 प्रतिशत नुकसान में हैं यहाँ करीब 7 दिन में 14 करोड़ का नुकसान हो चुका है।

नोटबंदी के बाद मोदी सरकार को बड़ा झटका महाराष्ट्र लोकल बॉडी चुनाव में BJP हारी सभी सीटें

मुंबई : बीजेपी और मोदी सरकार को 500 और 1000 के नोट बैन किये जाने के बाद बड़ा झटका लगा है | नोटबंदी के बाद महाराष्ट्र में एग्रिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी में 17 सटों के लिए वोटिंग हुई | इस चुनाव में बीजेपी के सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा | इस चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली है|
पीसेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया ने इस चुनाव में सबसे अधिक 15 सीटों जीती हैं। इस चुनाव में शिवसेना और कांग्रेस ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की है, एपीएमसी पोल में कांग्रेस ने 25 साल बाद एक सीट जीतने में सफलता हासिल कर ली है |
रिटेल और खुदरा व्यापारी मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले से काफी परेशान हैं|  इस फैसले की वजह से पूरे महाराष्ट्र में बहुत से किसान और मजदूरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है | 500 और 1000 के नोट बदलवाने के लिए लोग एक-एक रुपये के लिए भटक रहे हैं |
8 नवंबर को मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैन करने का फैसला किया था | सरकार के मुताबिक़ कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है|

बीजेपी विधायक का आरोप, अंबानी-अडानी को पहले से थी नोटबंदी की जानकारी

मुंबई : बीजेपी और मोदी सरकार को 500 और 1000 के नोट बैन किये जाने के बाद बड़ा झटका लगा है | नोटबंदी के बाद महाराष्ट्र में एग्रिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी में 17 सटों के लिए वोटिंग हुई | इस चुनाव में बीजेपी के सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा | इस चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली है|
पीसेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया ने इस चुनाव में सबसे अधिक 15 सीटों जीती हैं। इस चुनाव में शिवसेना और कांग्रेस ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की है, एपीएमसी पोल में कांग्रेस ने 25 साल बाद एक सीट जीतने में सफलता हासिल कर ली है |
रिटेल और खुदरा व्यापारी मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले से काफी परेशान हैं|  इस फैसले की वजह से पूरे महाराष्ट्र में बहुत से किसान और मजदूरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है | 500 और 1000 के नोट बदलवाने के लिए लोग एक-एक रुपये के लिए भटक रहे हैं |
8 नवंबर को मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैन करने का फैसला किया था | सरकार के मुताबिक़ कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है|

पौने पाँच लाख करोड़ की भरपाई के लिए हुई है नोटबंदी!

पौने पाँच लाख करोड़ की भरपाई के लिए हुई है नोटबंदी!
नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर पूरे देश में अफरातफरी का माहौल है, मौतों का आकड़ा लगभग 50 तक पहुँच चुका है। यह वह आकड़ें हैं जो रिपोर्ट हो पाएं  हैं वास्तिक आकड़ों का कोई खुलासा नहीं। यूँ अचानक से नोट बंदी के फैसले के पीछे की वजह बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने अपनी वाल पर लिखा है कि 

क्या आपको अब भी नोटबंदी का मतलब समझ में नहीं आ रहा है? वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री(श्री संतोष कुमार गंगवार)
1- 31 मार्च, 2016 की स्थिति के अनुसार, सरकारी क्षेत्र के बैंकों(पीएसबी) के शीर्ष 100 उधारकर्ताओं की बकाया राशि 13,71,885 करोड रूपये थी।

2-सरकारी क्षेत्रों के बैंकों की सकल अनर्जक आस्तियां 2,16,739 करोड रुपये (वित्तीय वर्ष 2014 के लिए), 2,67,065 करोड रुपये (वित्तीय वर्ष 2015 के लिए) और 4,76,816 करोड़ रुपये (वित्तीय वर्ष 2016 के लिए) थी।
यह पढ़िए।
वित्त मंत्रालय का राज्यसभा में जवाब है। सवाल संख्या 2506. जवाब देने की तारीख 9 अगस्त, 2016. मोदी सरकार बनने के बाद सरकारी बैंकों की लूट किस तरह दोगुनी हो गई, यह सरकार ख़ुद बता रही है।
बाज़ार में कुल करेंसी लगभग 18 लाख करोड़ है। उसमें से लगभग पौने पाँच लाख करोड़ कंपनियों ने दबा लिए हैं, जिनके लौटने की उम्मीद भी नहीं है।
इसकी भरपाई के लिए हुई है नोटबंदी।

नोटबंदी में अब तक कोई घोटाला नहीं हुआ है। घोटाला जनवरी-फ़रवरी महीने में होगा जब RBI उतने नोट छापेगी, जितने कि बैंकों में वापस नहीं लौट पाए हैं। सरकार इस रक़म को अपनी आमदनी के तौर पर दिखाएगी। यह रक़म पाँच लाख करोड़ तक हो सकती है।
उन नए छापे गए नोटों की लूट भारतीय आर्थिक इतिहास की सबसे बड़ी लूट होगी। इसका बड़ा हिस्सा बड़ी कंपनियों के पास जाएगा। उनका क़र्ज़ माफ होगा। इस वजह से कंगाल हो चुके सरकारी बैंकों में नए सिरे से नक़दी डाली जाएगी।

मिडिल क्लास को ख़ुश रखने के लिए इनकम टैक्स की छूट की सीमा बढाई जाएगी और टैक्स दर में थोड़ी कटौती होना भी मुमकिन है। उस लूट की तलछट पर चंद नोट ग़रीबों के खाते में भी आ सकते हैं।

आरटीआई के दायरे में आने से क्यों डरती है बीजेपी? 'पार्टी का 70 प्रतिशत पैसा आता है अज्ञात स्रोत से'

नई दिल्ली। 8 नवंबर की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर अंकुश लगाने की बात कहकर 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया। जनता को हुए कष्ट को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि देशहित में जनता को ये कष्ट उठाना ही पड़ेगा। पीएम मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार भविष्य में कालेधन पर और भी कड़ी कार्रवाइयां करेगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन कड़ी कार्रवाइयों की जद में सिर्फ जनता ही आएगी या कभी नेताओं पर भी पीएम मोदी कभी कड़ी कार्रवाइयां करेंगे? 
आपको बता दें कि पिछले साल आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष चंद्र अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने देश की सभी पार्टियों को सूचना के अधिकार के तहत लाने की बात की थी। लेकिन जब सर्वोच्च अदालत ने इस मसले पर नरेंद्र मोदी सरकार की राय जाननी चाहिए तो उसने कहा कि “अगर राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के तहत लाया गया तो इससे उनके सुचारू कामकाज में अड़चन आएगी।” 

आपको ये जानकार हैरत होगी कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के साल 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय का 69.3 प्रतिशत “अज्ञात स्रोत” से आया था। एडीआर के आंकड़ों के अनुसार साल 2013-14 में छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के पास कुल 1518.50 करोड़ रुपये थे। राजनीतिक दलों में सबसे अधिक पैसा बीजेपी (44%) के पास था। वहीं कांग्रेस (39.4%), सीपीआई(एम) (8%), बीएसपी (4.4%) और सीपीआई (0.2%) का स्थान था। 
एडीआर के आंकड़े बताते हैं कि सभी राजनीतिक दलों की कुल आय का 69.30 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया था। गौरतलब है कि राजनीतिक पार्टियों को अपने आयकर रिटर्न में 20 हजार रुपये से कम चंदे का स्रोत नहीं बताना होता है। पार्टी की बैठकों-मोर्चों से हुई आय भी इसी श्रेणी में आती है। साल 2013-14 तक सभी छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय में 813.6 करोड़ रुपये अज्ञात लोगों से मिले दान था। वहीं इन पार्टियों को पार्टी के कूपन बेचकर 485.8 करोड़ रुपये की आय हुई थी।
यह तब के आंकड़े हैं जब कांग्रेस सत्ता में थी और बीजेपी विपक्ष में और यही दोनों दल अज्ञात स्रोत से चंदे के मामले में भी बाकी पार्टियों से आगे थे। अब आप सोच सकते हैं कि बीजेपी सत्ता में है और पूंजीपतियों से भी बीजेपी के रिश्ते अच्छे हैं। साल 2013-14 में कांग्रेस की कुल आय 598.10 करोड़ थी जिसमें 482 करोड़ अज्ञात स्रोतों से आए थे। कांग्रेस को कुल आय का 80.6 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से मिला था। बीजेपी की कुल आय 673.8 करोड़ रुपये थी जिसमें 453.7 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से आए थे। बीजेपी को कुल आय का 67.5 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से मिला था। 

Wednesday 16 November 2016

बड़ा झटकाः नकदी में 4500 रुपये से ज्यादा के पुराने नोट नहीं बदलवा पाएंगे- RBI

नई दिल्लीः जो लोग किसी के कालेधन को सफेद करने के धंंधे में लगे हैं और इसके लिए बार-बार बैंक या डाकघर से नोट बदलवाने का काम कर रहे हैं उनपर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बड़ी चोट की है. अब आरबीआई ने साफ किया है कि कोई भी शख्स बैंक या डाकघर से सिर्फ 4500 रुपये ही नकदी एक्सचेंज कर सकता है.
4500 रुपये से ज्यादा नकदी रखने वाले का क्या होगा?
अब सवाल है कि अगर किसी शख्स के पास अपनी सफेद कमाई का नकद 4500 रुपये से ज्यादा है तो क्या वो अपनी रकम नकद में एक्सचेंज नहीं कर सकता?
जवाब है– नहीं. उसे 4500 रुपये से ज्यादा की रकम अपने खाते में जमा करना होगी और अगर उसके पास खाता नहीं है तो खाता ओपन कराना होगा.
दरअसल, कैश में नोट बदलवाने की लिमिट क्या होगी? इसे लेकर थोड़ी कंफ्यूजन थी, लेकिन अब आरबीआई ने इसे साफ कर दिया है कि एक शख्स सिर्फ 4500 रुपये तक के ही नोट बदलवा पाएगा.
किस बैंक में होगा एक्सचेंज?
आप 4500 रुपये किसी भी बैंक में एक्सचेंज कर सकते हैं. आपको 4500 रुपये एक्सचेंज में चाहिए तो जरूरी नहीं कि आप अपने ही खाते वाले बैंक में जाएं, आप किसी भी बैंक में जाकर वैलिड आईडी प्रूफ दिखाकर नोट बदलवा सकते हैं.
क्या खाते वाले बैंक के ब्रांच में ही जमा होग कैश?
जी नहीं, आप अपने बैंक के किसी भी ब्रांच में कैश जमा कर सकते हैं. खाता नंबर दीजिए. लिड आईडी प्रूफ दिखाएं और जमा करें रकम.
बार-बार पैसा जमा करने वालों कैसी होगी पहचान?
इसके लिए सरकार ने कल ही ऐलान कर दिया है कि जो लोग बार-बार नोट बदलवाने बैंक जा जा रहे हैं उनपर रोक लगाने के लिए अमिट स्याही का इस्तेमाल किया जाएगा. और आज से ये स्याही लगाने का काम शुरू हो गया है.
लेकिन सवाल और भी हैं….
जब 4500 रुपये खर्च हो जाए तो क्या करें?
जिनका सवाल है कि 4500 रुपये की रकम उनके लिए काफी नहीं है और उन्हें ज्यादा रकम चाहिए तो उनके लिए आरबीआई का जवाब है कि वो अपने 500-1000 के नोटों को बैंक में जमा कराएं और कैश या ऑनलाइन खर्च करें. उनके लिए इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट्स, आईएमपीस, डेबिट-क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है.
जिनका बैंक खाता नहीं है, उनके लिए हिदायतें
जिनका बैंक खाता ही नहीं है वो केवाईसी पूरा कर अपना बैंक खाता खोल लें, ताकि आप अपनी सफेद कमाई की रकम को जमा कर सकें.
आपको बता दें कि कल ही आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा था कि बार-बार नोट बदलवाने के धंधे से जुड़ रहे लोगों को रोकने के लिए एक बार 4500 तक के नोट एक्सचेंज करा चुके लोगों के हाथों पर अमिट स्याही का निशान लगाया जाएगा जिससे वो दूसरे बैंक जाकर और पैसे एक्सचेंज ना करा पाए. इसकी शुरुआत भी आज से हो गई है और देश भर में विमानों की मदद से ये इंक पहुंचाई जा रही है. यानी साफ है कि अब एक व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 4500 रुपये ही एक्सचेंज करा पाएगा. अगर इससे ज्यादा के 500-1000 रुपये के नोट हैं तो बैंक में जमा कराने होंगे, आपको उनके बदले कैश नहीं मिलेगा.
बैंक से कितना कैश मिल सकता है?
हालांकि अगर आपको कैश चाहिए तो आप बैंक से चेक के जरिए एक हफ्ते में अधिकतम 24,000 रुपये निकाल सकते हैं. इसमें एटीएम से निकाली गई राशि भी शामिल है यानी अगर एटीएम से एक हफ्ते में 10 हजार रुपये निकाल चुके हैं तो बैंक से फिर बचे हुए 14,000 रुपये ही निकाल पाएंगे. आप चाहें तो इकट्ठे 24,000 रुपये निकाल सकते हैं लेकिन फिर उस हफ्ते में आप उसी खाते से और रुपये नहीं निकाल सकते हैं. आपको अगले हफ्ते का इंतजार करना होगा. तो अगर आपका खाते कई बैंकों में हैं तो आपके लिए फायदे की बात हो सकती है.

नोटबंदी: दिल्ली में छिटपुट हिंसा, पुलिस को आए साढ़े चार हजार फोन कॉल

नोटबंदी: दिल्ली में छिटपुट हिंसा, पुलिस को आए साढ़े चार हजार फोन कॉल
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस को शनिवार शाम छह बजे तक करीब 4,500 कॉल मिलीं क्योंकि शहर के कुछ इलाकों में, अमान्य हो चुके 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बदलने, नकदी की तलाश में बैंकों और एटीएम के बाहर खड़े लोगों के बीच मामूली झड़पें हुईं.

विशेष पुलिस आयुक्त (ऑपरेशन्स) संजय बेनीवाल ने बताया, "हम लोगों को आज 4,000 से अधिक फोन कॉल आए. शहर में हिंसा की छिटपुट घटनाओं की सूचना मिली लेकिन किसी के गंभीर रूप से घायल होने की कोई सूचना नहीं मिली." पुलिस ने बताया कि रूप नगर के आईडीबीआई बैंक पर पथराव की एक घटना सामने आई और इस मामले में एक व्यक्ति को
गिरफ्तार भी किया गया है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि हिंसक घटनाओं से जुड़ी दर्जनों अफवाहें उड़ीं और ट्विटर ने आग में घी का काम किया.


उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर इलाके के मेट्रो मॉल का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस कथित वीडियो मे लोगों को सामान लूटते हुए देखा जा सकता है और इस पूरे मामले को शांत करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करते हुए दिखाया गया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के पास लाइन में लगे एक बुजुर्ग की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई है।

आज दिनांक 15 नवम्बर 2016 को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के पास लाइन में लगे एक बुजुर्ग की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई है। मृतक की पहचान अरई गांव के निवासी सुरेंद्र शर्मा के रूप में की गई है। नोटबंदी के कारण जिस प्रकार लोगों की भींड़ बैंकों के बाहर देश के हर हिस्से में दिख रही है और कई सारे लोगों की मौत की खबर लगातार आ रही है, अफ़सोस कि आज उस प्रकार के ख़बरों में दाउदनगर का नाम भी जुड़ गया। मृतक बुजुर्ग चेक से पैसा निकालने के लिए लाइन में लगे थे कि अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और वहीँ बैंक के गेट के पास उनकी मौत हो गई। जानकारी के मुताबकि सुरेंद्र शर्मा पेशे से रिटायर्ड फौजी थे। आज ही दो और लोगों की बेहोश होने की भी खबर आयी है मगर वे दोनों सुरक्षित हैं।
मृतक के शरीर को औरंगाबाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

Tuesday 15 November 2016

नोट बंदी पर सरकार को संसद से सड़क तक हर जगह घेरेगा एकजुट विपक्ष

नोट बंदी पर सरकार को संसद से सड़क तक हर जगह घेरेगा एकजुट विपक्ष
नई दिल्ली । नोट बंदी से किल्लत झेल रही जनता की आवाज़ उठाने के लिए विपक्ष अब सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। संसद से सड़क तक सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध किया जायेगा और उसे जनता को हो रही तकलीफ से अवगत कराया जायेगा ।
नोट बंदी के मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करने के लिए दिल्ली में कांग्रेस, टीएमसी, सीपीएम, आरजेडी, जेडीयू और कई दूसरे विपक्षी दलों ने बैठक की और सरकार को संसद में घेरने की रणनीति पर चर्चा की।
बुधवार को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है और कांग्रेस उसी दिन 100 विपक्षी सांसदों के साथ संसद से राष्ट्रपति भवन तक विरोध मार्च निकालने के लिए तैयार करने की कोशिश कर रही है। विपक्षी दल बुधवार को राष्ट्रपति से मुलाकात कर सरकार से नोट बैन के फैसले को वापस लेने की मांग कर सकते हैं।
नोटबंदी के विरोध के बहाने बहाने ममता बनर्जी सभी गैर-बीजेपी दलों को एकजुट करने में जुट गई हैं। यहां तक कि उन्होंने अपने चिरप्रतिद्वंद्वी सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी को फोन कर सरकार के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है।

अफरा तफरी के माहौल में मेहनत का पैसा भी बन गया कालाधन

पुरानी नकदी का चलना बंद होने से जहां एक ओर लोग अपने काले धन को सफेद करने की जुगाड़ में लगे हैं, वहीं देश में कर चोरी की प्रवृत्ति और अचानक नोट बंद होने से मची अफरा-तफरी में अनेक लोगों की मेहनत का सफेद धन भी कालेधन में बदल गया है
सरोजनी नगर की एक महिला ने अपना मकान 50 लाख रूपये में बेचने का सौदा किया। महिला ने सरकारी कर की चोरी और मकान बेचने की लिखा-पढ़ी का खर्च बचाने के लिए खरीदार से मकान को कानूनी तौर पर 10 लाख रुपये में बेचने और बाकी का 40 लाख रुपये नकदी में लेने की शर्त रखी।
शर्त के आधार पर दोनों के बीच मकान खरीद-बिक्री का सौदा हो गया, लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा पुराने नोटों का चलन बंद किये जाने के निर्णय से अब मकान मालकिन को पूरे 40 लाख रुपये की चपत लग गयी। नोट बंद होने के निर्णय के बाद अब खरीदार तो 40 लाख रुपये देने के लिए खुशी खुशी राजी है, लेकिन महिला आयकर छापे और इसे वैध नहीं कर पाने के डर से पैसा लेने से खुद ही मुकर गयी।
इसी प्रकार एक अधिकारी ने सेवानिवृत्ति से मिलने वाली राशि को राजधानी में मकान खरीदने के लिए अपने दो बेटों के बीच 30-30 लाख रुपये में बांट दिया। मकान बेचने वाले बिल्डर ने भी सरकारी कर की चोरी और खरीद-बिक्री के खर्च से बचने के लिए खरीदारों को 60 प्रतिशत राशि नकदी और 40 प्रतिशत राशि चेक के जरिये अदा करने का प्रस्ताव दिया।
अपना-अपना सरकारी खर्च बचाने के लिए खरीदारों ने 60 प्रतिशत राशि नकदी में दे दी, जो अब प्रधानमंत्री की अचानक नोट बंद करने की घोषणा के बाद सफेद होने के बावजूद अपने आप ही कालेधन में बदल गयी। इसके अलावा जनधन खातों की जमा राशि में अचानक बढ़ोतरी आने की भी खबरें मिल रही हैं।
एक महिला ने अपनी गाढ़ी कमाई के नोटों के बंडल को बड़े नोटों में तब्दील कराया, लेकिन बंदी के फैसले से महिला को ऐसा सदमा लगा कि उसकी मौत हो गयी। नोट बंदी के बाद एक दो स्थानों में दुकाने लूटने और मारपीट होने की भी खबरे हैं।
सूत्रों ने बताया कि देश के दूर दराज के इलाकों में दबंग लोग जबरन गरीबों के खाते में पैसा जमा करवाकर उसे वैध बनाने के काम में लगे हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ प्रतिशत का हिस्सा भी मिलता है, लेकिन इससे सरकार के इस बड़े कदम का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। दिल्ली के अखबारों में 30-35 प्रतिशत के कमीशन पर पुराने नोटों को बदलने के धंधे की भी खबरें छप रही हैं। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन सूत्र पेट्रोल पंपों के जरिये भी काले-सफेद का धंधा चलने की काना-फूसी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नोट बंद करने की घोषणा और रेलवे स्टेशन अथवा अस्पताल में इनके चलने की छूट देने के बाद लोगों द्वारा लंबी दूरी के और महंगे टिकट खरीदकर तथा फिर उसे रद्द कराकर काली कमाई को सफेद में बदलने के उदाहरण सामने आ रहे हैं। भाषा एजेंसी

नोट बंदी के खिलाफ मार्च में शामिल होगी शिवसेना

नोट बंदी के खिलाफ मार्च में शामिल होगी शिवसेना
नई दिल्ली । नोट बंदी के विरोध में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस द्वारा आयोजित मार्च में बुधवार को बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना शामिल होगी । इस मार्च में कांग्रेस के शामिल होने पर अभी संशय बरकरार है । शिवसेना नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मुलाकात करेगी।
विपक्षी दलों ने मंगलवार को नोटबंदी के मुद्दे पर बैठक की. इस बैठक में कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी, आरजेडी, टीएमसी, जेएमएम, आरएसपी, जेडीयू, बीएसपी और सपा शामिल हुए। बैठक में आम आदमी पार्टी, डीएमके, एडीएमके और बीजेडी जैसी पार्टियां मौजूद नहीं थीं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संसद में चर्चा से पहले राष्ट्रपति से मिलने के पक्ष में नहीं हैं, जबिक ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह बुधवार को राष्ट्रपति से मिलेंगी।
ममता ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले कोलकाता में हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘मैं नोटबंदी के मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिलूंगी। मैं अपने 40 सांसदों के साथ उनसे मिलने जाऊंगी। मैंने विभिन्न राजनीतिक दलों से बात की है. अगर वे मेरे साथ चलना चाहते हैं, तो अच्छी बात है। अगर नहीं तो मैं अपने सांसदों के साथ ही जाऊंगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला मेरे साथ आ सकते हैं।’
इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात को थोड़ा जल्दबाजी बताने वाले कुछ राजनीतिक दलों के बयानों के बारे में पूछे जाने पर ममता ने कहा, ‘यह उनकी मर्जी है। रोगी की मौत से पहले आपको डॉक्टर को दिखाना होता है। रोगी के मर जाने के बाद डॉक्टर को बुलाने का कोई मतलब नहीं है। आपको अभी राष्ट्रपति से मिलना जरूरी है. मैं चाहती हूं कि सभी राजनीतिक दल राष्ट्रपति से मुलाकात करें। ‘

अफरा तफरी के माहौल में मेहनत का पैसा भी बन गया कालाधन

पुरानी नकदी का चलना बंद होने से जहां एक ओर लोग अपने काले धन को सफेद करने की जुगाड़ में लगे हैं, वहीं देश में कर चोरी की प्रवृत्ति और अचानक नोट बंद होने से मची अफरा-तफरी में अनेक लोगों की मेहनत का सफेद धन भी कालेधन में बदल गया है
सरोजनी नगर की एक महिला ने अपना मकान 50 लाख रूपये में बेचने का सौदा किया। महिला ने सरकारी कर की चोरी और मकान बेचने की लिखा-पढ़ी का खर्च बचाने के लिए खरीदार से मकान को कानूनी तौर पर 10 लाख रुपये में बेचने और बाकी का 40 लाख रुपये नकदी में लेने की शर्त रखी।
शर्त के आधार पर दोनों के बीच मकान खरीद-बिक्री का सौदा हो गया, लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा पुराने नोटों का चलन बंद किये जाने के निर्णय से अब मकान मालकिन को पूरे 40 लाख रुपये की चपत लग गयी। नोट बंद होने के निर्णय के बाद अब खरीदार तो 40 लाख रुपये देने के लिए खुशी खुशी राजी है, लेकिन महिला आयकर छापे और इसे वैध नहीं कर पाने के डर से पैसा लेने से खुद ही मुकर गयी।
इसी प्रकार एक अधिकारी ने सेवानिवृत्ति से मिलने वाली राशि को राजधानी में मकान खरीदने के लिए अपने दो बेटों के बीच 30-30 लाख रुपये में बांट दिया। मकान बेचने वाले बिल्डर ने भी सरकारी कर की चोरी और खरीद-बिक्री के खर्च से बचने के लिए खरीदारों को 60 प्रतिशत राशि नकदी और 40 प्रतिशत राशि चेक के जरिये अदा करने का प्रस्ताव दिया।
अपना-अपना सरकारी खर्च बचाने के लिए खरीदारों ने 60 प्रतिशत राशि नकदी में दे दी, जो अब प्रधानमंत्री की अचानक नोट बंद करने की घोषणा के बाद सफेद होने के बावजूद अपने आप ही कालेधन में बदल गयी। इसके अलावा जनधन खातों की जमा राशि में अचानक बढ़ोतरी आने की भी खबरें मिल रही हैं।
एक महिला ने अपनी गाढ़ी कमाई के नोटों के बंडल को बड़े नोटों में तब्दील कराया, लेकिन बंदी के फैसले से महिला को ऐसा सदमा लगा कि उसकी मौत हो गयी। नोट बंदी के बाद एक दो स्थानों में दुकाने लूटने और मारपीट होने की भी खबरे हैं।
सूत्रों ने बताया कि देश के दूर दराज के इलाकों में दबंग लोग जबरन गरीबों के खाते में पैसा जमा करवाकर उसे वैध बनाने के काम में लगे हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ प्रतिशत का हिस्सा भी मिलता है, लेकिन इससे सरकार के इस बड़े कदम का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। दिल्ली के अखबारों में 30-35 प्रतिशत के कमीशन पर पुराने नोटों को बदलने के धंधे की भी खबरें छप रही हैं। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन सूत्र पेट्रोल पंपों के जरिये भी काले-सफेद का धंधा चलने की काना-फूसी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नोट बंद करने की घोषणा और रेलवे स्टेशन अथवा अस्पताल में इनके चलने की छूट देने के बाद लोगों द्वारा लंबी दूरी के और महंगे टिकट खरीदकर तथा फिर उसे रद्द कराकर काली कमाई को सफेद में बदलने के उदाहरण सामने आ रहे हैं। भाषा एजेंसी

अफरा तफरी के माहौल में मेहनत का पैसा भी बन गया कालाधन

पुरानी नकदी का चलना बंद होने से जहां एक ओर लोग अपने काले धन को सफेद करने की जुगाड़ में लगे हैं, वहीं देश में कर चोरी की प्रवृत्ति और अचानक नोट बंद होने से मची अफरा-तफरी में अनेक लोगों की मेहनत का सफेद धन भी कालेधन में बदल गया है
सरोजनी नगर की एक महिला ने अपना मकान 50 लाख रूपये में बेचने का सौदा किया। महिला ने सरकारी कर की चोरी और मकान बेचने की लिखा-पढ़ी का खर्च बचाने के लिए खरीदार से मकान को कानूनी तौर पर 10 लाख रुपये में बेचने और बाकी का 40 लाख रुपये नकदी में लेने की शर्त रखी।
शर्त के आधार पर दोनों के बीच मकान खरीद-बिक्री का सौदा हो गया, लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा पुराने नोटों का चलन बंद किये जाने के निर्णय से अब मकान मालकिन को पूरे 40 लाख रुपये की चपत लग गयी। नोट बंद होने के निर्णय के बाद अब खरीदार तो 40 लाख रुपये देने के लिए खुशी खुशी राजी है, लेकिन महिला आयकर छापे और इसे वैध नहीं कर पाने के डर से पैसा लेने से खुद ही मुकर गयी।
इसी प्रकार एक अधिकारी ने सेवानिवृत्ति से मिलने वाली राशि को राजधानी में मकान खरीदने के लिए अपने दो बेटों के बीच 30-30 लाख रुपये में बांट दिया। मकान बेचने वाले बिल्डर ने भी सरकारी कर की चोरी और खरीद-बिक्री के खर्च से बचने के लिए खरीदारों को 60 प्रतिशत राशि नकदी और 40 प्रतिशत राशि चेक के जरिये अदा करने का प्रस्ताव दिया।
अपना-अपना सरकारी खर्च बचाने के लिए खरीदारों ने 60 प्रतिशत राशि नकदी में दे दी, जो अब प्रधानमंत्री की अचानक नोट बंद करने की घोषणा के बाद सफेद होने के बावजूद अपने आप ही कालेधन में बदल गयी। इसके अलावा जनधन खातों की जमा राशि में अचानक बढ़ोतरी आने की भी खबरें मिल रही हैं।
एक महिला ने अपनी गाढ़ी कमाई के नोटों के बंडल को बड़े नोटों में तब्दील कराया, लेकिन बंदी के फैसले से महिला को ऐसा सदमा लगा कि उसकी मौत हो गयी। नोट बंदी के बाद एक दो स्थानों में दुकाने लूटने और मारपीट होने की भी खबरे हैं।
सूत्रों ने बताया कि देश के दूर दराज के इलाकों में दबंग लोग जबरन गरीबों के खाते में पैसा जमा करवाकर उसे वैध बनाने के काम में लगे हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ प्रतिशत का हिस्सा भी मिलता है, लेकिन इससे सरकार के इस बड़े कदम का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। दिल्ली के अखबारों में 30-35 प्रतिशत के कमीशन पर पुराने नोटों को बदलने के धंधे की भी खबरें छप रही हैं। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन सूत्र पेट्रोल पंपों के जरिये भी काले-सफेद का धंधा चलने की काना-फूसी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नोट बंद करने की घोषणा और रेलवे स्टेशन अथवा अस्पताल में इनके चलने की छूट देने के बाद लोगों द्वारा लंबी दूरी के और महंगे टिकट खरीदकर तथा फिर उसे रद्द कराकर काली कमाई को सफेद में बदलने के उदाहरण सामने आ रहे हैं। भाषा एजेंसी

अर्थशास्त्रियों की राय, नोट बंद होने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा

विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन ने आज कहा कि भारत सरकार का 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है, लेकिन इससे भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा।

प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री सोरमन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से बैंक नोटों को बदलना एक स्मार्ट कदम है। हालांकि, इससे कुछ समय के लिए वाणिज्यिक लेनदेन बंद हो सकता है और अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है। सोरमन ने कहा, लेकिन यह कदम भ्रष्टाचार को गहराई से खत्म नहीं कर सकता। क्योंकि अधिक नियमन वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ता है। सोरमन ने कहा, भ्रष्टाचार वास्तव में लालफीताशाही और अफसरशाही के इर्द-गिर्द घूमता है। ऐसे में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए नियमन को कुछ कम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जल्दबाजी में संचालन का तरीका कुछ निराशाजनक है। पहले से बताए गए कार्यक्रम के जरिये एक स्पष्ट रास्ता एक अधिक विश्वसनीय तरीका होता। सोरमन ने कई पुस्तकें लिखी हैं। इनमें इकोनॉमिस्ट डजन्ट लाई : ए डिफेंस ऑफ द फ्री मार्केट इन ए टाइम ऑफ क्राइसिस भी शामिल है।
जाने माने अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय की पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार इला पटनायक ने भी कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अचानक 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले के कई उद्देश्य हैं। इससे निश्चित रूप से वे लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे जिनके पास नकद में कालाधन है। भ्रष्ट अधिकारी, राजनेता और कई अन्य सोच रहे हैं कि वे इस स्थिति में नकदी से कैसे निपटें। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा ऊंचे मूल्य के नोटों को नए नोटों से बदला जाएगा। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि भ्रष्टाचार में नकदी का इस्तेमाल बंद हो जाएगा। पटनायक ने कहा कि इस आशंका से कि फिर से नोटों को बंद किया जा सकता है, भ्रष्टाचार में डॉलर, सोने या हीरे का इस्तेमाल होने लगेगा।

The Gujarat businessman surrendering Rs 6,000 crore is FAKE

When Lalbhai's office was contacted, the real picture came into play. The entire cash surrendering saga came out as fake. This was confirmed by InUth web portal which took it upon itself to call the diamond merchant's office.

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The official from Lalbhai’s office said that there have already been reports in the local media negating these false social media messages. (Source: PTI)
As soon as the story about the very famous diamond merchant Laljibhai Patel’s surrendering a huge amount of cash broke on the internet, the whole country started praising PM Narendra Modi and his government on the success of the demonetisation policy. But did anyone gave a second thought on its authenticity or tried to figure out the other side of the story? When the truth finally emerged, it was as surprising as teh original news itself – the difference was that this time, the report came directly from the horse’s mouth, so to speak.
When Lalbhai’s office was contacted, the real picture came into play. The entire cash surrendering saga came out as fake. This was confirmed by InUth web portal which took it upon itself to call the diamond merchant’s office. The official from Lalbhai’s office said that there have already been reports in the local media negating these false social media messages.
Before making it to the headlines, amidst the ongoing cash chaos in the country, Laljibhai Patel became a social media sensation when it was reported that a Suraj-based businessman has gifted cars and flats to his employees during Diwali. He is also known for donating Rs 200 cr to 10,00 girls in order to support their education. Lalajibhai is also the man who bought PM Narendra Modi’s suit that was the centre of controversy when US President Barack Obama had come on India visit. He is the seventh richest jeweller of the country with a net worth of around $480 million.

Why no BJP leaders seen in queues outside ATMs: Sardesai from GFP

Independent legislator and mentor of newly-formed Goa Forward Party (GFP) Vijai Sardesai has criticised the ruling BJP and Prime Minister Narendra Modi over the “chaotically implemented” demonetisation move, saying why are no BJP leaders seen in queues outside ATMs.
Kicking off the party’s campaign ahead of the Assembly polls slated early next year, the Independent MLA from Fatorda also accused Modi while addressing a rally in Margao yesterday of facilitating “complete dilution of ‘Goanness'”.
Slamming BJP and Modi over the “chaotically implemented” demonetisation move, Sardesai asked: “How come no BJP leader is seen in queues in front of ATMs of all banks in the state?”
He said the time has come to protect the interests of the local residents of Goa.
“Goa has had enough of nationalisation. Now it is time to usher in ‘Goanisation’ to protect ‘Goenkarponn’ (Goan-ness),” he said while referring to the Centre’s reported move of nationalising six rivers in the state, which the GFP had earlier criticised as the “worst catastrophe awaiting Goans”.
During the event, Monica Dias, general secretary of All India Mahila Congress, joined the GFP. The party that was formed six months ago has been trying to cobble up a secular alliance ahead of the state polls.
Sardesai also alleged that the BJP has put Goa on a “fast-track sale”.
“Modi has intentionally sidestepped the Goa special status issue to facilitate complete dilution of ‘Goanness’ through BJP government’s ongoing policies like Investment Promotion Board, which do not protect the interests of the state or its ethnic population.
“The burden of price rise and the debt-ridden economy of the BJP government will be carried forward to the next government,” he said.
Making a strong pitch for sustainable development of the state for the benefit of Goans, Sardesai promised that the GFP would make amendments to the state laws.
“The amendments would ensure that businesses in the mining and tourism sectors, which form the backbone of the state’s economy would henceforth have to compulsorily involve a Goan as a partner to do business in the state,” he said.
The legislator also called for enactment of the Goa Sound Act by replacing the Madhya Pradesh Control of Music and Noises Act, which he said was seen as a “deterrent” for the wedding and entertainment industry in the state.
Sardesai cautioned Congress of “earthquakes” within the party fold due to the “failure” of its leadership in combating the ruling dispensation in the state.
He said he was committed to an alliance of all opposition forces in the state “as the public sentiment is in its favour”.

नोटबंदी के कारण अब तक हुईं 25 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार कौन ?

नोटबंदी के कारण अब तक हुईं 25 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार कौन ?
नई दिल्ली । केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अचानक शुरू की गयी पांच सौ और एक हज़ार रुपये की नोटबंदी के काल ने अब तक 25 लोगों की ज़िन्दगी ख़त्म कर दी है । इन 17 लोगों की मौत अलग परिस्थिति में हुई लेकिन मौत के पीछे एक ही कारण है । अहम सवाल है कि अलग अलग शहरो में हुई निर्दोष लोगों की मौत का ज़िम्मेदार कौन है ?
उत्‍तर प्रदेश के गोरखपुर में जब एक महिला ने सुना कि 500 व 1000 के नोट वैध नहीं रहे, सदमे से उसकी मौत हो गई। महिला को घोषणा का पता तब चला जब वह 1000 के दो नोट लेकर बैंक में जमा करने पहुंची थी। बताया जाता है कि दो दिन पहले ही, उसने छाेटे नोटों के बदले 1000 के नोट लिए थे, ताकि उसे जमा करने में सुविधा हो। वहीं, इस अफरातफरी में दो बुजुर्गों की भी मौत हो गई।
गुजरात के सुरेंदरनगर जिले के लिमदी कस्‍बे में 69 वर्षीय बुजुर्ग तथा मध्‍य प्रदेश के सागर कस्‍बे में काफी देर तक खड़े रहे बुजुर्ग का दिल का दौरा पड़ा और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
मुंबई के गाेवांडी क्षेत्र में एक दंपत्ति को अपना नवजात बच्‍चा खोना पड़ा। बच्‍चे को तेज बुखार था और आरोप है कि अस्‍पताल में 500 व 1000 रुपए के नोट लेने से मना कर दिया था। दंपत्ति ने अस्‍पताल वालों के हाथ-पैर जोड़े मगर उनका दिल नहीं पसीजा और नवजात की जान चली गई।
यूपी के मैनपुरी में अस्‍पताल द्वारा पुराने नोट लेने से इनकार करने के बाद एक और बच्‍चे की मौत हो गई थी। विशाखापटनम में भी 18 महीने के बच्‍चे की जान सिर्फ इस वजह से चली गई कि अस्‍पताल वालों ने पुराने नोट लेने से मना कर दिया था।
जयपुर में एक पिता ने दावा किया कि उसके नवजात बच्‍चे की मौत इसलिए हो गई क्‍योंकि कोई एम्‍बुलेंस पुराने नोट लेकर अस्‍पताल चलने को तैयार नहीं थी। जब तक परिवार 100 रुपए के नोटों का इंतजाम करता, बच्‍चे की मौत हो गई।
छत्‍तीसगढ़ में सोमवार को 45 वर्षीय किसान ने कथित तौर पर सुसाइड कर लिया। बताया जाता है कि वह कई बार लाइन में लगने के बावजूद बंद हुए नोट नहीं बदलवा पाया था। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में नोटबंदी से तनाव में चल रहे एक व्‍यक्ति ने अपनी पत्‍नी की हत्‍या कर दी। पत्‍नी एटीएम से खाली हाथ लौटकर आई थी, पति को लगा कि पत्‍नी को ज्‍यादा देर तक एटीएम की लाइन में लगे रहना चाहिए था।
एक अधेड़ महिला ने नोटबंदी का ऐलान होने के बाद आत्‍महत्‍या कर ली। उसने करीब 55 लाख रुपए में जमीन बेची थी, जिसका कुछ हिस्‍सा पति के इलाज में खर्च हो गया। बाकी पैसों से वह और जमीन खरीदना तथा बेटी की शादी करना चाहती थी लेकिन पीएम मोदी का ऐलान सुनकर उसे लगा कि उसका पैसा बर्बाद हो गया, इसलिए उसने आत्‍महत्‍या कर ली।
पटना में नोटबंदी की खबर सुनने के बाद एक व्‍यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उसकी बेटी की शादी होने वाली थी और व्‍यक्ति को लगा कि दूल्‍हा दहेज में पुराने नोट नहीं लेगा।
भोपाल में रविवार शाम स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया के नीलबाद ब्रांच के 45 वर्षीय क‍ैशियर की कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई। वह बैंक में ओवरटाइम कर रहा था।
केरल के थालासेरी में एक व्‍य‍क्ति 5 लाख रुपए जमा कराने गया थाा। डिपॉजिट स्लिप भरते हुए वह दूसरे माले से गिर गया और उसकी मौत हो गई। व्‍यक्ति ने एक दिन पहले ही पूरी रकम कर्ज के तौर पर ली थी। केरल के अलाप्‍पुझा में 75 वर्षीय कार्तिकेयन बैंक के बाहर गश खाकर गिरे, उनकी मौके पर ही मौत हो गई। वह करीब एक घंटे से लाइन में खड़े थे। गुजरात में 47 वर्षीय किसान की नोट बदलवाने की लाइन में खड़े-खड़े मौत हो गई।
कर्नाटक के उड़ुपी में, एक 96 वर्षीय बुजुर्ग की लाइन में खड़े-खड़े मौत हो गई। बैंक तब तक ख्‍ुाल भी नहीं सका था। उत्‍तर प्रदेश के फैजाबाद में एक कारोबारी ने जब टीवी पर पीएम मोदी का ऐलान सुना तो उसे सीने में दर्द महसूस हुआ। डॉक्‍टर के पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
दिल्ली में एक महिला ने अपने आपको फांसी लगा ली क्योंकि वह तीन दिन से नोट बदलने की कोशिश कर रही थी लेकिन नाकाम रही।
यूपी के शामली इलाके में एक 20 साल की लड़की ने सुसाइड किया। बताया गया कि उसका भाई नोट बदलने के लिए गया था लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। इसपर जब वह घर आया तो बहन को पंखे से लटकता पाया।
यूपी के बुलंदशहर में कैलाश हॉस्पिटल में इलाज ना मिलने से एक बच्चे की मौत हुई। उसके घरवालों के पास देने के लिए खुल्ले पैसे नहीं थे। वह हॉस्पिटल केंद्र मंत्री महेश शर्मा का है।
बिहार के कैमुर जिले में 45 साल की महिला की हार्ट अटैक से मौत हुई। उस महिला को इस बात की चिंता थी कि उसकी लड़की का होने वाला ससुर और पति दहेज में पुराने नोट नहीं लेंगे। उसने 35 हजार रुपए बचा रखे थे।
बीजेपी नेता का बयान, कहा- लोग राशन की लाइन में भी मरते हैं
नोट बंदी के बाद से लोगों को हो रही परेशानी के बीच बीजेपी नेता का बेहद असंवेदनशील बयान सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नोट बंदी के कारण अब तक करीब 16 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में जब बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे इस विषय में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कई बार लोग राशन की लाइन में इंतजार करते करते मर जाते हैं।